रूस के कजान शहर में (BRICS) के 16वें शिखर सम्मेलन 2024 का आयोजन

BRICS:

परिचय: 

    • BRICS विश्व की पाँच अग्रणी उभरती अर्थव्यवस्थाओं- ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के समूह के लिये दिया गया एक संक्षिप्त शब्द (Abbreviation) है।
    • BRICS के सदस्य देशों का शिखर सम्मेलन प्रतिवर्ष होता है।
    • वर्ष 2023 में 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता दक्षिण अफ्रीका ने की थी और अक्तूबर 2024 में 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता रूस द्वारा की जा रही है।

BRICS का गठन:

    • इस समूह का गठन पहली बार अनौपचारिक रूप से वर्ष 2006 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में G8 (अब G7) आउटरीच शिखर सम्मेलन के दौरान ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन (BRIC) नामक देशों के प्रमुखों की बैठक के दौरान किया गया था,
    • जिसे आगे चलकर वर्ष 2006 में न्यूयॉर्क में होने वाली BRIC देशों के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक के दौरान औपचारिक रूप दिया गया था।
    • वर्ष 2009 में BRIC का पहला शिखर सम्मेलन रूस के येकातेरिनबर्ग में हुआ था।
    • इसके अगले वर्ष (2010) इसमें दक्षिण अफ्रीका के शामिल होने के बाद इसे BRICS नाम दिया गया।
    • हाल ही में BRICS के विदेश मंत्रियों ने वर्ष 2023 में मिस्र, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सऊदी अरब एवं इथियोपिया को इसमें शामिल करने के बाद अपनी पहली बैठक का आयोजन किया। ये देश 1 जनवरी 2024 से BRICS में शामिल हुए हैं।

महत्त्व:

  • सदस्य देशों की जनसंख्या विश्व की 45% (लगभग 3.5 बिलियन लोग) है।
  • अर्थव्यवस्थाओं का कुल मूल्य लगभग 28.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर (वैश्विक अर्थव्यवस्था का लगभग 28%) है।
  • समूह के सदस्यों (ईरान, सऊदी अरब तथा UAE) की वैश्विक कच्चे तेल उत्पादन में लगभग 44% की भागीदारी है।
  • सऊदी अरब और ईरान जैसे पश्चिम एशियाई देशों का नए सदस्यों के रूप में शामिल होना उनके पर्याप्त ऊर्जा संसाधनों के कारण अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
  • सऊदी अरब एक प्रमुख तेल उत्पादक देश है और इसके तेल उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा चीन व भारत जैसे ब्रिक्स देशों को जाता है। रूस, चीन और भारत के लिये तेल का एक महत्त्वपूर्ण आपूर्तिकर्त्ता रहा है। नए सदस्यों के शामिल होने के साथ रूस अपने ऊर्जा निर्यात के लिये अतिरिक्त बाज़ार की तलाश कर रहा है, जो BRICS के तहत विविधिकृत ऊर्जा स्रोतों की क्षमता को दर्शाता है।
  • मिस्र और इथियोपिया की ‘हॉर्न ऑफ अफ्रीका’ तथा लाल सागर क्षेत्र में रणनीतिक अवस्थिति है, जो महत्त्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्गों के निकट होने के कारण अत्यधिक भू-रणनीतिक महत्त्व के क्षेत्र हैं। उनकी उपस्थिति इस क्षेत्र में ब्रिक्स के भू-राजनीतिक महत्त्व को बढ़ाती है।

– ओम प्रकाश वर्मा, सीधी                                                                                             स्त्रोत : समाचार पत्र एवं इंटरनेट

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